लखनऊ । उत्तर प्रदेश सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ और उनके डिप्टी सीएम कैशव प्रसाद मौर्य के बीच गतिरोध की खबरें हैं। हाल के दिनों में दोनों दिग्गज नेताओं की कार्यशैली और उनके बयान-आदेशों पर नजर डालें तो साफ हो रहा है कि दोनों नेताओं के बीच सब कुछ ठीक नहीं है। दोनों नेता अपने बयानों और निर्देशों से अपने को दूसरे से ज्यादा भारी साबित करते नजर आ रहे हैं । राजनीति के जानकारों का यह मानना पिछले दिनों सीएम योगी के उस आदेश के बाद यह गतिरोध खुलकर सामने आ गया , जिसमें सीएम योगी ने केशव प्रसाद मौर्य के PWD विभाग द्वारा पिछले 2 साल में कराए गए टेंडर और बड़े निर्माण कार्यो की जांच करने का निर्देश दिया । वहीं डिप्टी सीएम ने मुख्यमंत्री को उनके नेतृत्व वाले विभाग एलडीए में फैले भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के बारे में एक चिट्ठी लिख डाली । कहा जा रहा है कि इन सभी गतिविधियों के जरिए दोनों नेता एक दूसरे पर दबाव बनाने की रणनीति अपना रहे हैं।
योगी-मौर्य अधीनस्थ विभागों में निकाल रहे गड़बड़ी
असल में यूपी सरकार के शीर्ष नेतृत्व नेता एक-दूसरे के खिलाफ मुखर नजर आ रहे हैं । यूपी में भाजपा सरकार के गठन के साथ ही एकाएक योगी आदित्यनाथ को सीएम बनाने और कैशव प्रसास मौर्य समेत दिनेश शर्मा को राज्य का डिप्टी सीएम बनाए जाने के दौरान से ही दोनों नेताओं के बीच कुछ मनमुटाव नजर आया था , लेकिन संगठन के बढ़ते स्वरूप के बीच इन खबरों को ज्यादा हवा नहीं दी गई । लेकिन अब मामला बढ़ता नजर आ रहा है । मीडिया को संकेत दिए जा रहे हैं कि योगी और मौर्य दोनों एक-दूसरे के अधीनस्थ विभागों को सवालों के घेरे में ला खड़ा करते हुए एक दूसरे पर दबाव बनाने की रणनीति अपना रहे हैं ।
योगी ने कुछ ऐसा दिया आदेश
इस सब के बीच योगी आदित्यनाथ ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के PWD विभाग द्वारा पिछले 2 साल में कराए गए टेंडर और बड़े निर्माण कार्यो की जांच करने का निर्देश दिया । ये ठेके और निर्माण कार्य करीब दो हजार करोड़ के हैं । बयानों से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सीएम ने विभाग में ठेकों और निर्माण कार्यों में हुई जमकर धांधली को लेकर सीधा मौर्य पर निशाना साधा है ।
सीएम ने की रिव्यू बैठक
इस सब के साथ ही सीएम योगी ने गत अक्टूबर में पीडब्ल्यूडी की रोड मेंटेनेंस यूनिट की एक रिव्यू बैठक ली, हालांकि इसमें डिप्टी सीएम मौर्य शामिल नहीं हुए । इस दौरान सीएम ने प्रदेश में सड़कों की बदतर हालत - रखरखाव को लेकर संबंधित अधिकारियों को जमकर लताड़ा । इसके साथ ही सड़क के गड्ढे भरने की तारीख 15 नवंबर तक तय कर दी। इतना ही नहीं गुस्साए सीएम ने प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी को उन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दे दिए , जिन्होंने जिलों में फंड होने के बावजूद सड़कों की मरम्मत और निर्माण का काम नहीं करवाया । इसी मीटिंग में योगी आदित्यनाथ ने पीडब्ल्यूडी, शहरी विकास और सिंचाई विभाग के 2 साल के सभी कार्यों की जांच के भी आदेश दिए ।
कैशव प्रसाद मोर्य ने दिए जांच के आदेश
वहीं डिप्टी सीएम मौर्य ने योगी के आदेशों के बाद मुख्यमंत्री को उनके नेतृत्व वाले विभाग एलडीए में फैले भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के संबंध में पत्र लिख दिया । उन्होंने पत्र में LDA के कई अफसरों पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये भ्रष्टाचार में लिप्त हैं । ऐसे में इन अफसरों की जांच होनी चाहिए । खास बात यह है कि डिप्टी सीएम की यह गोपनीय चिट्ठी मीडिया में लीक भी हो गई , जिसके चलते एलडीए में करप्शन की बात सबके सामने आ गई। कहा गया कि खुद मौर्य की ओर से पत्र को लीक किया गया ताकि वह सीएम पद दबाव बना सकें। इस दौरान केशव मौर्य ने आरोप लगाया था कि प्राइवेट बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए एलडीए ने नियमों को ताक पर रख दिया है ।
मौर्य ने यूं साधा निशान, हुआ एक्शन
मौर्य ने अपनी चिट्ठी में कई कंस्ट्रक्शन पर सवाल उठाते हुए कहा था कि आखिरकार इन लोगों को ब्लैक लिस्ट क्यों नहीं किया गया । इस दौरान मौर्य ने सवाल उठाया कि आखिर कैसे सिर्फ 9 दिन पुरानी कंपनियों को कंस्ट्रक्शन का काम दे दिया गया । मौर्य की चिट्ठी के बाद योगी सरकार ने जांच करके लखनऊ विकास प्राधिकरण में रजिस्टर्ड 11 कॉन्ट्रैक्टर फर्म को ब्लैक लिस्ट कर दिया । कई लोगों के खिलाफ कार्रवाई के भी निर्देश दिए।
पीडब्ल्यूडी पर है नजर
अब खबरें मिल रही हैं कि मौर्य के PWD पर योगी सरकार के कुछ खास अफसरों की नजर है । मौर्य के कुछ करीबी अफसरों को वहां से हटा दिया गया है । वहीं पीडब्ल्यूडी के विभागाध्यक्ष आरसी बरनवाल सहित तीन इंजीनियरों के खिलाफ ईओडब्ल्यू, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत बनी सड़कों में हुई धांधली की जांच जारी है । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को यह जांच सौंपी है । बरनवाल को हाल ही में प्रमुख अभियंता (विकास) एवं विभागाध्यक्ष का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था. जबकि, पहले बरनवाल को ही निर्माण कार्य के कई मामलों की जांच का भी जिम्मा भी दिया गया था ।
कुछ इन मुद्दों के चलते मौर्य हैं नाराज
-असल में यूपी में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद कैशव प्रसाद मौर्य को भरोसा था कि उन्हें सीएम पद दिया जाएगा । मौर्य ने बतौर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के तौर पर अपनी पार्टी में अपनी धमाकेदार पहचान बनाई थी । वह सीएम बनने के सपने देख रहे थे लेकिन योगी आदित्यनाथ को सीएम बना दिया गया ।
- मौर्य को सीएम न बनाए जाने के फैसले के बाद उन्हें खुश करने के लिए डिप्टी सीएम बना दिया गया , लेकिन उनके साथ दिनेश शर्मा को भी डिप्टी सीएम बनाया गया ।
-जनवरी 2018 में मनाए गए पहले यूपी दिवस में सभी सीनियर नेताओं को शामिल होना था, लेकिन मौर्य वहां नहीं पहुंचे । कहा गया कि मौर्य इस बात से नाराज थे कि यूपी दिवस के तमाम बोर्ड और फ्लेक्स में उनकी फोटो नहीं थी ।
- इसके बाद 2018 में भी कई मौके पर मौर्य बड़े कार्यक्रमों से नदारद रहे। यहां तक की 20 जनवरी को वाराणसी में युवा उद्घोष कार्यक्रम में केशव मौर्य को नहीं बुलाया गया ।
-शीर्ष नेतृत्व तक मामला पहुंचने पर तय हुआ था कि अब दोनों नेता एक दूसरे के विभागों में दखल नहीं देंगे , लेकिन गत जुलाई में योगी आदित्यनाथ ने केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व वाले पीडब्ल्यूडी विभाग को अपने निशाने पर ले लिया । इसके बाद दोनों नेता आमने सामने खड़े नजर आ रहे हैं ।